Shodashi Secrets

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Inspiration and Empowerment: She is a image of energy and bravery for devotees, especially in the context of your divine feminine.

इस सृष्टि का आधारभूत क्या है और किसमें इसका लय होता है? किस उपाय से यह सामान्य मानव इस संसार रूपी सागर में अपनी इच्छाओं को कामनाओं को पूर्ण कर सकता है?

आस्थायास्त्र-वरोल्लसत्-कर-पयोजाताभिरध्यासितम् ।

Probably the most revered amongst these would be the 'Shodashi Mantra', which is reported to grant both worldly pleasures and spiritual liberation.

Upon walking towards her historic sanctum and approaching Shodashi as Kamakshi Devi, her ability increases in depth. Her templed is entered by descending down a dim slender staircase which has a group of other pilgrims into her cave-llike abode. There are numerous uneven and irregular methods. The subterranean vault is hot and humid and but There's a experience of protection and and defense within the dim gentle.

The Mahavidya Shodashi Mantra is also a strong Software for all those trying to find harmony in individual associations, Imaginative inspiration, and steerage in spiritual pursuits. Normal chanting fosters emotional therapeutic, boosts instinct, and can help devotees obtain larger knowledge.

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, here मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

हन्यादामूलमस्मत्कलुषभरमुमा भुक्तिमुक्तिप्रदात्री ॥१३॥

ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥५॥

Her role transcends the mere granting of worldly pleasures and extends into the purification with the soul, resulting in spiritual enlightenment.

इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।

बिभ्राणा वृन्दमम्बा विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥

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